संदेश

"गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " ------------------------------------- सफ़र कैसा था,आपके  साथ दास्तान मत पूछो , सुकून क्या था,मंदिर की घंटी या सुनकर अजान मत पूछो // बड़ा मुस्तिकिल , प्यारा सा साथ रहा आपका, छूटा क्यूँ? ये हकीक़त हाल-ए -दिल बयान मत पूछो // हम भी थे खुश आप भी दुखी न रहे , पर चाहत और ज्यादा की,फितरत -ए-इंसान मत पूछो // आराम भी चाहिए,जाना भी आगे,अब याद रहेगी, बीते सफ़र की कितनी है थकान मत पूछो // {मुस्तिकल-पक्का ,रोज रोज होने वाला, हकीक़त-सच हाल ए दिल-दिल का हाल फितरत -ए -इंसान-इंसाने की आदत } ======================================================
"गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " मेरा लिहाज़ मुझे बोलने न देगा, बेबसी,! राज-ए-दिल मुझे खोलने न देगा // किस क़दर बेचैन हूँ,बताऊँ क्या आपको , डर !"रत्न" को इज़हार-ए-बयां अंजाम क्या देगा // धड़कनो और निगाहों को हो सके तो पढ़ लो, और आपको कोई ,मेरा दिल-ए-पैगाम न देगा // खामोश रहकर भी देखा एहसासों को भी दबाया , तूफ़ान है !,निगाहों का पर्दा इसे छिपने न देगा // हुस्न रखता है हया का पर्दा भी, पूछोगे,गर हर बात तो इज़ाज़त न देगा आ जाओ नज़दीक खामोशी से, सवाल करोगे ,गर तो ज़वाब ही न देगा // समन्दर की लहरों का हाल बताऊँ क्या? हलचल है ,!कश्ती को पार उतरने  न देगा// "गुप्तरत्न " ========================================================================
"गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " = मिट जाएगी ग़लतफ़हमी, एक बार देख ले झाकंकर,अपने अन्दर // गुमान, की आदत है पानी की, डुबाता है बड़े तैराक ही अक्सर समन्दर //
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"गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " मुहब्बतों की दुनिया, बिना तेरे कहाँ बसायी थी , मैंने बिना तेरे जिंदगी कहाँ बितायी थी ,// तेरी हमकदम,हमसाया,हमराह ही बनी रही,मुद्दतो, मैंने अपनी कोई पहचान कहाँ बनायी थी // तू हाथ पकड़कर रोक लेता,तो अंज़ाम जुदा होता , ये दूरियां सिर्फ मैंने कहाँ बनायी थी // बहुत रोई,बहुत रोई, तुझसे बिछड़ते वक़्त,तूने देखा ही नही फिर भी तुमसे न मिलने की कसम कहाँ खायी थी // मैं तो तेरी ही थी,तेरी ही हूँ,तेरी ही रहूंगी ताउम्र यूँ ही , तू समझा ही नही,"रत्न" कभी कहाँ परायी थी // "गुप्त रत्न "   Email This BlogThis! Share to Twitter Share to Facebook Share to Pinterest
"गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " कुछ बात रह जाएँ ,जो अधूरी तो अच्छा है , कुछ आश जो रह जाएँ अधूरी तो अच्छा है , इस आश मैं कट जाएँ जो एक उम्र हमदम , तो फिर इस उम्र का सफ़र अच्छा है //// ---------------------------------------------------- जो तूने खुद को मेरी निगाहों से देखा होता , खुदा कसम खुदको खुदा देखा होता , जो तू न बन सका मेरा गम नही , खुदको तो किसी और का बना देखा होता //// ------------------------------------------------------- तेरी याद आने के बाद किसी की और की याद न आयें , दिल मैं तेरे आने के बाद कोई और न आयें , इस तरह बसे तू दिल मैं धडकनों की तरह, की जो तू न आये,तो बस "रत्न" को मौत आ जाये /// ----------------------------------------------------------------- कुछ ग़ज़ल दिल की बात होती है , जो दिल का राज़ होती है , बताती है दिल का हाल सच्चा , की "रत्न"के दिल का आइना होती है /// ---------------------------------------------------- डरना क्या मुहब्बत-ऐ -अंजाम से , दिल टूटना एक रीत हो गई , दो आशुं झलका दे "रत्न...