"गुप्त रत्न "हिंदी कवितायेँ : अचानक पन्ने पलटे ,की कुछ ख्याल आ गयाकितने आगे आ...
ग़ज़ल "गुप्त रत्न "हिंदी कवितायेँ : अचानक पन्ने पलटे ,की कुछ ख्याल आ गया कितने आगे आ... : अचानक पन्ने पलटे ,की कुछ ख्याल आ गया कितने आगे आ चुके है,हम ये सवाल आ गया , एक एक पन्ना याद दिलाता रहा बीते वक़्त की कितना वक़्त गुज़र गय... gupt ratn hindi kavityan