"गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " जो बीती तेरे साथ वो जिंदगी थी मेरी , सोचूंगी, सही थी ,या गलती थी मेरी // कितनी कडवाहट घोल दी जिंदगी मैं , वैसे भी,कहाँ मीठे की आदत थी मेरी // ये बारिश ये हवाएं याद दिला ही देती , बेबसी कह लो ,इसमें खता क्या मेरी // कब भूलूंगी ,तुमको सवाल दुनिया का , जवाब देती,गरआती यादें इज़ाज़त लेकर मेरी / कौन था गलत फैसला भी सुनाएगा ये वक़्त , वो कहाँ सुनेगा दलीले ,न तेरी न मेरी // तुझको चाहत थी साहिल की तू चल दिया , नही शिकायत,मझधार ही अब जिंदगी मेरी // गिराकर खुश हो,सबकी नज़रो मैं मुझको , सुकून है मुझे, नही गिरी निगाहों मैं मेरी // गुज़ारिश है रुख न करना मेरे दर का अब / खाली दामन हूँ, माफ़ी भी न मिलेगी मेरी // मुहब्बत है तुझसे बद्दुआ न दे सकुंगी , पर असर भी न करेगी, अब दुआएं मेरी // सोच कितनी मुहब्बत करती हूँ "रत्न" ,तुझसे , अल्फ़ाज़ भी आते है ज़हन मैं जब याद आती है तेरी //