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"गुप्त रत्न ": मेरा सब्र  जवाब अब दे रहां है ,गुज़ारिश है यू...

"गुप्त रत्न ": मेरा सब्र  जवाब अब दे रहां है , गुज़ारिश है यू... : मेरा सब्र  जवाब अब दे रहां है , गुज़ारिश है यूँ मेरी न जान ले // नही आता हाल-ए-दिल बयां करना , ख़ामोशी का यूँ मेरी न इम्तिहान ले ,//... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न ": "गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं "जो बीती त...

"गुप्त रत्न ": "गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " जो बीती त... : "गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " जो बीती तेरे साथ वो जिंदगी थी मेरी , सोचूंगी, सही थी ,या गलती थी मेरी // क... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "
"गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " जो बीती तेरे साथ वो जिंदगी थी मेरी , सोचूंगी, सही थी ,या गलती थी मेरी // कितनी कडवाहट घोल दी जिंदगी मैं , वैसे भी,कहाँ मीठे की आदत थी मेरी // ये बारिश ये हवाएं याद दिला ही देती  , बेबसी कह लो ,इसमें खता क्या मेरी //  कब भूलूंगी ,तुमको सवाल दुनिया का , जवाब देती,गरआती यादें इज़ाज़त लेकर मेरी / कौन था गलत फैसला भी सुनाएगा ये वक़्त ,     वो कहाँ सुनेगा दलीले ,न तेरी न मेरी // तुझको चाहत थी साहिल की तू चल दिया , नही शिकायत,मझधार ही अब जिंदगी मेरी // गिराकर खुश हो,सबकी नज़रो मैं मुझको , सुकून है मुझे, नही गिरी  निगाहों मैं मेरी // गुज़ारिश है रुख न करना मेरे दर का अब / खाली दामन हूँ, माफ़ी भी न मिलेगी मेरी // मुहब्बत है तुझसे बद्दुआ न दे सकुंगी , पर असर भी न करेगी, अब दुआएं मेरी //        सोच कितनी मुहब्बत करती हूँ "रत्न" ,तुझसे , अल्फ़ाज़ भी आते है ज़हन मैं जब याद आती है तेरी //

बेमकसद सफ़र की न थकान दे //

"गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " मेरा सब्र  जवाब अब दे रहां है , गुज़ारिश है यूँ मेरी न जान ले // नही आता हाल-ए-दिल बयां करना , ख़ामोशी का यूँ मेरी न इम्तिहान ले ,// जो कह सकती थी नज़रो से कह दिया , बार-बार ,यूँ  मेरा न इक बयान ले // नहीं चल सकते तो रुक जाते है, बेमकसद सफ़र की न थकान दे // बताऊँ क्या समन्दर की लहरों का हाल, डूब रही हूँ,दिल मैं  तू और न तूफ़ान दे //
"गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " हम नही संभलते ,तो तुम संभल जाओ , संभल नहीं सकते तो साथ गिर जाओ , आ जायेगा दर्ज़ा यूँ बराबर पर , हम नही बदलते ,तो तुम बदल जाओ ///
"गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " अपने ही ख्वाबों को टूटता देखा , वक़्त को हाथों से छूटता देखा , ज्यादा तो कुछ नही देख,इस कम उम्र मैं , पर पूछो न "रत्न"ने क्या -क्या देखा /////

"गुप्त रत्न ": अपने ही ख्वाबों को टूटता देखा ,वक़्त को हाथों से ...

"गुप्त रत्न ": अपने ही ख्वाबों को टूटता देखा , वक़्त को हाथों से ... : अपने ही ख्वाबों को टूटता देखा , वक़्त को हाथों से छूटता देखा , ज्यादा तो कुछ नही देख,इस कम उम्र मैं , पर पूछो न "रत्न"ने क्या ... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न ": तेरी बरूखी ने एहसान कर दिया,मेरा वक़्त  मेरे ही ना...

"गुप्त रत्न ": तेरी बरूखी ने एहसान कर दिया, मेरा वक़्त  मेरे ही ना... : तेरी बरूखी ने एहसान कर दिया, मेरा वक़्त  मेरे ही नाम कर दिया // मत रख इस क़दर कफस मैं ,अब दिल ने बगावत का एलान कर दिया // तेरी ही शक्ल ... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "
"गुप्त रत्न " " भावनाओं के  समंदर मैं " पिघलना मेरा तय है तेरी गर्म सांसो मैं , बहकना मेरा तय है तेरी मदहोश आँखों मैं मंचलना मेरा तय है ,तेरी महकी बातों मैं , बोलेंगी खामोशी तय है,तेरी ही आवाजो मैं डूबना तो तय है, अब तेरी इन आँखों मैं / नहीं रहूंगी आम ,तय है,बन जाउंगी तेरे खासों मैं  one 
"गुप्त रत्न " " भावनाओं का समंदर " तेरी बरूखी ने एहसान कर दिया, मेरा वक़्त  मेरे ही नाम कर दिया // मत रख इस क़दर कफस मैं ,अब दिल ने बगावत का एलान कर दिया // तेरी ही शक्ल होती है ,रूबरू ,बस ख्यालो का  नाम ग़ज़ल कर दिया // गुनाहों का फैसला तो बांकी था अभी , क्यूँ साबित मुजरिम,मुझे सरेआम कर दिया // दिए अल्फ़ाज़ इन ख्यालो को कैसे,मैंने खोकर तुझमे,सुबह को शाम कर दिया //
"गुप्त रत्न " " भावनाओं का समंदर " तुम्हे मुझसे कभी मुहब्बत न रही। जब भी रही जरूरत ही रही। काश थोड़ी सी मुहब्बत हो जाती  पूरी नही हुयी कभी,आरज़ू ही रही। अब नही दरमियान कुछ भी। कसक अधूरी ये दिल मैं ही रही। दिल और दिमाग की जंग मैं, जीत हमेशा आपकी ही रही। लड़ाई वो करो जिसमे हारो न कभी, पर दिल था,इसलिये मैं हारी ही रही।      लहरो के पार मंज़िल थी मेरी, पहुंची नही कश्ती, मझधार मैं रही।
"गुप्त रत्न " " भावनाओं का समंदर " क्या करूँ निगाहें कहना नही मानती , धडकने भी मेरी सुनना नही जानती , निगाहें छूती है तेरी,नज़र बहका रही तेरे सामने मैं संभलना नही जानती /////
सता ले अभी,यूँ हाथ मैं तेरे डोर है , मानता नहीं,ये दिल भी तेरी ओर है // तेरी निगाहों की शरारते ही है ये , धडकनों पर भी नहीं रहा जोर है // हम भी जागने लगे अब रातों मैं सोने नहीं देती,ये कर रही शोर है // आजमाइश कहो इसे वक़्त की, मेरा आएगा,अभी तेरा दौर है // लाइलाज नही है ये मर्ज़ मेरा, तू देता नही दवा,बात और है // लग न जाएँ तुमको भी मर्ज़ मेरा, चारागर बात काबिल ऐ गौर है // गुप्त रत्न (चारागर -इलाज़ करने वाला/दवा देने वाला आजमाइश-परखना मर्ज़ -बीमारी )

"गुप्त रत्न "हिंदी कवितायेँ : सता ले अभी,यूँ हाथ मैं तेरे डोर है ,मानता नहीं,ये...

"गुप्त रत्न "हिंदी कवितायेँ : सता ले अभी,यूँ हाथ मैं तेरे डोर है , मानता नहीं,ये... : सता ले अभी,यूँ हाथ मैं तेरे डोर है , मानता नहीं,ये दिल भी तेरी ओर है // तेरी निगाहों की शरारते ही है ये , धडकनों पर भी नहीं रहा जोर है... gupt ratn hindi kavityan
"गुप्त रत्न " : "गुप्त रत्न "पत्थर सा दिल, ये मोम बन... :  पत्थर सा दिल, ये मोम बना, पिघल रहा है कतरा-कतरा। आग लगी ये तेरी नज़रो से ,जल रहा तू भी कतरा-कतरा। ...

न वो अब घर रहा, न वो रहे ठिकाने ,तुझसे मिलने के भ...

: न वो अब घर रहा, न वो रहे ठिकाने , तुझसे मिलने के भ... : न वो अब घर रहा, न वो रहे ठिकाने , तुझसे मिलने के भी,खत्म हुए बहाने, न रही उम्मीदे ,न ही तुमसे कोई गिला, यूं भी इससे हमको है ,कुछ न...

"गुप्त रत्न "हिंदी कवितायेँ "एक दिन कभी यूँ भी होगा ...

"गुप्त रत्न "हिंदी कवितायेँ : एक दिन कभी यूँ भी होगा ... : एक दिन कभी यूँ भी होगा , हम होंगे तुमे होंगे . धीमी -२ चल रही होंगी हवाएँ, और छाया बादलो ,का झुण्...
"गुप्त रत्न""भावनायों के समन्दर मैं" एक दिन कभी यूँ भी होगा , हम होंगे तुमे होंगे . धीमी -२ चल रही होंगी हवाएँ, और छाया बादलो ,का झुण्ड घना होगा , हम कह रहे होंगे दिल की बात बंद होठो से , तुम सुन रहे होंगे , खामोश सा समां होगा, हमारी ये ख़वाहिशे की ये कहे ,वो कहे , भूल गई बोलने का ज़ज्बा खो गया होगा , फिर पकोडेगे वो हाथ हाथ कुछ उसी अंदाज़ से ,हमारा, पहली मुलाकात का एहसास जिंदा हो गया होगा , ये तो ख्वाइशे है ,जो कभी नहीं मिटती उस पर और इक ख्वाइश ये "रत्न " ये अरमान ख्वाहिशो का कभी तेरा भी होगा। गुप्त रत्न
"गुप्त रत्न""ख़ामोशी की गहराई मैं" इतना भी गुरुर किसलिए तुमको आखिर , धुआं,मिटटी और कफ़न हासिल आखिर // जितने बार भी पलटकर पीछे देखा मैंने , नज़र आयी खुदगर्ज़ी, दगा  ही आखिर// कितना पागल है ढूढ़ता है सारे जहाँ मैं कस्तूरी सा,सुकून तेरे अंदर है आखिर// तेरी दहलीज़ पर ही  छोड़ दिया सब कहाँ तलाशूँ,खुशिया वही है आखिर // मुकर्रर करें सजा,"रत्न" की औकात इतनी दिया है काम,खुदा किसलिए है आखिर? // जो दिए थे दर्द अब लौटना है मुझको , तेरे एहसान ये  कब तक रखूं  आखिर// जुर्माना मुहब्बत का "रत्न" के हिस्से रहा, शामिल कहाँ तू था?इस गुनाह मैं आखिर // तेरे साथ जो गुज़री बस उतनी ही थी , ज़िंदगी का और मतलब क्या आखिर //
क्या बताएं हम क्या है ,कुछ खमोशिया और कुछ लफ्ज़ो का खेल है हम , साहिल पर बैठे सब देख रहे है ,बेखबर मझधार मैं खुद से खेल रहे हम// गुप्त रत्न
बस इस मुहब्बत और दिल ने हरा दिया "रत्न" को , वरना दुनिया की कोई शह नहीं जो जीत पाती ,इससे

आपके लिए पत्थर सा दिल, ये मोम बना, पिघल रहा है कतरा-कतरा।

पत्थर सा दिल, ये मोम ब... : " सा दिल, ये मोम बना, पिघल रहा है कतरा-कतरा। आग लगी ये तेरी नज़रो से ,जल रहा तू भी कतरा-कतरा। ... पत्थर सा दिल, ये मोम बना, पिघल रहा है कतरा-कतरा। आग लगी ये तेरी नज़रो से ,जल रहा तू भी कतरा-कतरा। माना की मैं बैचैन बहुत,तड़प रहा पर तू भी कतरा-कतरा। माना ,मुझको होश नहीं,बहक रहा पर तू भी कतरा-कतरा। रोक रहे है मिलकर दोनों,मचला दिल फिर भी कतरा-कतरा। बेकाबू हो चला है दिल अब ,संभाल रहे हम कतरा-कतरा। गुप्त रत्न

"गुप्त रत्न "हिंदी कवितायेँ : सबसे मिलते - मिलते सीखा मैंने भी ,कभी खुदसे मिलना...

"गुप्त रत्न "हिंदी कवितायेँ : सबसे मिलते - मिलते सीखा मैंने भी , कभी खुदसे मिलना... : सबसे मिलते - मिलते सीखा मैंने भी , कभी खुदसे मिलना भी अच्छा होता है । दुनिया की भीड़-भाड़ और शोर से भी . शांत मन और एकांत भी अच्छा होता है... gupt ratn hindi kavityan

टूटे दिल की सी,आवाज़ लगीकोई तो  मीरा ही  कह गया ,...

"गुप्त रत्न " : टूटे दिल की सी,आवाज़ लगी कोई तो  मीरा ही  कह गया , ... : टूटे दिल की सी,आवाज़ लगी कोई तो  मीरा ही  कह गया , नज़र आयी यूँ पत्थर सी कही , कोई तो नाम ही "रत्न"दे गया , दिखी किसी को कुर्...
हर शख्स हैरान परेशान है यहाँ पर , किसको सुनाएँ हाल-ए-दिल यहाँ पर , जो बोले, तो शिकायत ही हर लव पर , ए खुदा खामोश रहना बेहतर यहाँ पर, किसकी ख़ताओं का एहसास कराएं यहाँ खुद हम पर ही  इलज़ाम लगे है यहाँ पर , हर कोई बताता है पाक दामन खुद को यहाँ हम लगे समझने,खुदको गुनाहगार यहाँ पर खुद समझे नहीं क़द्र,जज़्बातों की ये लोग, हमको कहते है,फिर  पत्थर दिल  यहाँ पर काश कोई नादान इस ख़ामोशी को समझता, नसीब अपना,एक नासमझ बस हम यहाँ पर ये लोग, गर अपने है तो अजब है अपनापन हमको आने लगे नज़र,ग़ैरों मैं,अपने यहाँ पर जीना तो समझो मज़बूरी है इस जहाँ मैं , की मरना भी मुश्किल है लोगो यहाँ पर गिले शिकवे करोगी किस किस से ए "रत्न" हर मोड़ पर मिल जायेंगे ऐसे लोग यहाँ पर गुप्त रत्न http://reenaratna.blogspot.com/p/httpreenaratna.html?spref=fb

हर शख्स हैरान परेशान सा है यहाँ पर ,किसको सुनाएँ ...

: हर शख्स हैरान परेशान सा है यहाँ पर , किसको सुनाएँ ... : हर शख्स हैरान परेशान सा है यहाँ पर , किसको सुनाएँ हाल-ए-दिल यहाँ पर , जो बोले, तो शिकायत ही है हर लव पर , ए खुदा खामोश रहना बेहतर है यह...